Bihar सरकार ने जातीय गणना की आर्थिक सामाजिक रिपोर्ट जारी किया है कि जातीय गणना की आर्थिक सामाजिक रिपोर्ट आज दोपहर 2 बजे रिपोर्ट को Bihar विधानसभा में पेश किया गया … इसके बाद रिपोर्ट पर चर्चा हुई … जातीय गणना की सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट में बिहार के लोगों की औसत आय, उनका शैक्षणिक स्तर, कितने लोग नौकरी से अपना जीवन यापन करते हैं इत्यादि की जानकारी दी गयी …. साथ ही रिपोर्ट में प्रवासी बिहारियों के बारे में भी सूचना दी जा गयी है…. इससे पहले दो अक्टूबर 2023 को जातीय गणना का आंकड़ा सरकार ने जो जारी किया |
Bihar Caste Census हाइलाइट्स
- कास्ट सर्वे के बाद बिहार सरकार ने जारी आर्थिक सर्वे रिपोर्ट
- सवर्णों में 25.9% परिवार गरीब, कायस्थ को सबसे ज्यादा नौकरी
- 25.3 फीसदी ब्राह्मण, 25.32 फीसदी भूमिहार गरीबी रेखा के नीचे
- विधानसभा में हंगामे के बीच नीतीश सरकार ने पेश की सर्वे रिपोर्ट
सामान्य वर्ग में भी गरीब परिवार के लोग की 25% हैं
पिछड़ा वर्ग की बात कर रहे हैं तो इनकी संख्या 33.5% के आसपास बताई गई है सामान्य वर्ग में 25.009 प्रतिशत गरीब परिवार से आने वाले लोग हैं जिनकी औसत आमदनी जो है वह गरीबी रेखा को अंकित करती है
बिहार की जातीय जनगणना के साथ आर्थिक और शैक्षणिक सर्वे भी पेश कर दिया गया है। मंगलवार को सरकार ने जातीय जनगणना की रिपोर्ट विधानसभा में रखी। इस रिपोर्ट में बिहार में अमीर-गरीब का आंकड़ा भी सामने आया है। जातीय सर्वे में यह सामने आया कि राज्य में गरीबी सभी जातियों में है। सवर्णों में 25.9 प्रतिशत परिवार गरीब हैं, उनमें भूमिहार और ब्राह्मण की तादाद ज्यादा है। 25.3 फीसदी ब्राह्मण और 25.32 फीसदी भूमिहार आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रही है। बिहार के 24.89 फीसदी राजपूत और 13.83 प्रतिशत कायस्थ परिवार गरीब है।
ओबीसी कैटेगरी के 33.16 फीसदी परिवार गरीब
ओबीसी कैटिगरी के 33.16 प्रतिशत परिवार गरीब है। जातीय जनगणना के मुताबिक, बिहार में ओबीसी की आबादी 27 प्रतिशत है। अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी के 33.58 परिवार गरीब हैं। अति पिछड़ा वर्ग ऐसी कैटिगरी है, जिनके पास खेती योग्य जमीन नहीं है। अनुसूचित जातियों में 42.70 प्रतिशत परिवार गरीब है। अन्य जातियों में 23.72 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं।

शैक्षणिक सर्वे रिपोर्ट की बड़ी बातें
बिहार में कास्ट सर्वे के बाद शैक्षणिक सर्वे रिपोर्ट भी सरकार ने विधानसभा में पेश कर दी। इसमें 22.67 फीसदी आबादी ने कक्षा 1 से 5 तक की शिक्षा हासिल की है। 14.33 फीसदी आबादी ने कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा हासिल की। 14.71 फीसदी आबादी कक्षा 9 से 10 तक की पढ़ाई की है। 9.19 फीसदी आबादी कक्षा 11 से 12 तक पढ़ाई की है। ग्रेजुएशन सिर्फ 7 फीसदी आबादी ने की है।

हंगामे के बीच पेश की गई रिपोर्ट
बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज दूसरे दिन जब यह प्रति पार्टी गई तो यह जानकारी इस वक्त सामने आई हुई | जिसमें पिछड़ा वर्ग की बात कर लें तो 33.6% गरीब परिवार से जुड़े हुए लोग हैं जो की गरीबी रेखा के अंदर आते हैं गरीब हैं और ऐसे में यह बार-बार कहा जा रहा था कि आर्थिक रूप से क्या रिपोर्ट है यह जानना जरूरी है इसे देखना जरूरी है
और क्या सामान्य वर्ग में लोग गरीब नहीं तो अब यह आंकड़े सामने आ चुके अत्यंत पिछड़ा वर्ग के भी आंकड़े सामने आ चुके हैं सामान्य वर्ग के आंकड़े सामने आ चुके हैं पिछड़ा वर्ग के आंकड़े सामने आ चुके हैं जिसमेंपिछड़ा वर्ग में 33.5% गरीब परिवार के लोग हैंप्रतिशत गरीब परिवार पेशावर में 33.5% गरीब परिवार वहीं अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58 प्रतिशत गरीब परिवारअनुसूचित जाति की बात करें तो 42.93 प्रतिशत गरीब परिवारअनुसूचित जनजाति में 42.700% और गरीब परिवार अन्य प्रतिवेदन जातियों की बात कर ले तो 23.7.2% इनमें भी गरीब परिवारों की संख्या सामने आई है
अब ऐसे में क्या सरकार जो बार-बार यह कह रही थी कि सिर्फ जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी से आगे जाकर अब सामान्य से लेकर पिछड़ा अति पिछड़ा अति प्रतिवेदन है तमाम जातियां में जो गरीब लोग हैं
जो गरीबी रेखा के नीचे हैं उन गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों के आर्थिक स्थिति में कैसे तब्दीली लाई जाए कैसे उनके आर्थिक स्थिति में सुधार किया जाए क्या वह रोड मैप होगा कैसे किस तरीके से उन्हें सफल बनाया जाएगा क्या इस तरफ सरकार काम करेगी यह देखना बेहद महत्वपूर्ण उसके लिए क्या वह रणनीतियां होगी क्या रोड मैप होगा यह बहुत महत्वपूर्ण है और इस वक्त यह आंकड़े से लेकर बार-बार यह चर्चा की जारी थी की जातियों की जानकारी को सामने ला देना इससे समस्या का समाधान नहीं होने वाला अगर आप सचमुचएक आम आदमी की बात करते हैं उसके सामाजिक आर्थिक स्थिति की बात करते हैं तो यह जरूरी हो जाता है
कि वह किसी भी जाति से संबंधित हो सकता है वह अति पिछड़े से हो सकते हैं पिछड़ी हो सकते हैं वह मुस्लिम हो सकते हैं वह तमाम उन जातियों में सामान्य वर्ग में हो सकते हैं जिसकी सियासत इस वक्त खूब की जा रही है जिसे ओबीसी और बी कैटिगरी कहकर बार-बार कहा जा रहा कि यह वह वर्ग है जो वर्क का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाना जरूरी है क्योंकि इनकी संख्या ज्यादा है और उनकी भागीदारी ज्यादा होनी चाहिए ऐसे में अब जो यह आंकड़े सामने आए हैं जिनमें सामान्य वर्ग पिछड़ा वर्ग में 33.5% गरीब परिवारों का जिक्र किया क्या है सामान्य वर्ग में भी 25.00% गरीब परिवार है अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58 प्रतिशत तो गरीब परिवार से लोग जुड़े हुए हैं

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